शिक्षण प्रविधि का अर्थ | शिक्षण प्रविधियाँ क्या है?
शिक्षण प्रविधि का अर्थ एक ऐसी योजना (Planning) से है, जो शिक्षकों द्वारा अपने शिक्षण कार्य में निश्चित लक्ष्यों की पूर्ति के लिए काम में लाई जाती है|
यदि इसी को हम दूसरे शब्दों बताएं तो शिक्षण प्रविधि एक ऐसी योजना है जिससे एक शिक्षक अपने शिक्षण के कार्य का लक्ष्य प्राप्त करता है| और शिक्षण कार्य का अंतिम लक्ष्य प्रत्येक छात्र को किसी भी तरीके से शिक्षित करना है|
छात्रों को नई-नई चीजें सिखाने के लिए एक थार्नडाइक का प्रयास और त्रुटि का सिद्धांत काफी महत्वपूर्ण माना जाता है|
रीतियां उन कार्यों के रूपों की द्योतक हैं, जिसमे कुछ पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति होती है|
बेसेल के अनुसार
शिक्षण प्रविधि शिक्षक द्वारा संचालित वह क्रिया हैं जिससे छात्रों को ज्ञान की प्राप्ति होती है|
बिनिंग के अनुसार
शिक्षण प्रविधि शिक्षण की प्रकिया का गतिशील कार्य है|
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उत्तम शिक्षण प्रविधियों की विशेषताएं
- शिक्षण की सबसे अच्छी प्रविधि वह है, जो पूर्व लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक हो सके|
- शिक्षण की उत्तम प्रविधि विद्यार्थियों में वांछित गुणों का विकास करती है|
- एक उत्तम शिक्षण प्रविधि वह होती है जो विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करे|
- एक अच्छी शिक्षण प्रविधि छात्रों की तर्क निर्णय और विश्लेषण करने की शक्ति का विकास करती है|
- उत्तम शिक्षण प्रविधि कलात्मक होती है|
शिक्षण प्रविधियों की आवश्यकता एवं महत्त्व
- शिक्षण एवं अधिगम संबंधों को स्थापित करने के लिए शिक्षण प्रविधियां आवश्यक है|
- शिक्षण की नवीन तकनीकों की जानकारी के लिए भी शिक्षण प्रविधियां आवश्यक है|
- शिक्षण उद्देश्यों का निर्धारण करने में शिक्षण प्रविधियांआवश्यक है|
- शिक्षण को वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करने में शिक्षण प्रविधियां सहायक साबित होती हैं|
- शिक्षण प्रविधियां कक्षा में प्रभावशाली शिक्षण के लिए जरुरी है|
कुछ प्रमुख शिक्षण प्रविधियाँ
- प्रश्नोत्तर प्रविधि
- विवरण प्रविधि
- वर्णन प्रविधि
- व्याख्यान प्रविधि
- स्पष्टीकरण प्रविधि
- कहानी कथन प्रविधि
- निरीक्षण एवं अवलोकन प्रविधि
- उदाहरण प्रविधि
- खेल गतिविधि प्रविधि
- समूह चर्चा प्रविधि
- प्रयोगात्मक प्रविधि
- वाद-विवाद प्रविधि
- कार्यशाला प्रविधि
- भ्रमण प्रविधि
प्रश्नोत्तर प्रविधि
प्रश्नोत्तर प्रविधि का निर्माण एथेन्स के प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात ने किया था इसलिए इसे सुकरात प्रविधि भी कहते है| इस प्रविधि के अनुसार शैक्षिक पाठ्यक्रम को इस प्रकार से रेखांकित किया जाता है की छात्र सत्य की जाँच करके उसे अपना ले|
यहाँ सत्य की जाँच से हमारा अर्थ यह है कि पाठ्यक्रम ऐसा होना चाहिए जिससे छात्र को कोई भी तथ्य समझाने के लिए प्रश्नोत्तर का सहारा लिया जा सके|
अच्छे प्रश्नोत्तर की विशेषताएं व रूप
- प्रश्न में प्रयोग की गई भाषाऔर लिपि स्पष्ट होनी चाहिए|
- प्रश्न उद्देश्य के साथ सम्बंधित होना चाहिए|
- एक प्रश्न में एक ही विचार होना चाहिए| प्रश्न शिक्षण स्तर के अनुकूल/अनुसार होना चाहिये|
- प्रश्नों में क्रमबद्धता होनी चाहिए|
प्रश्नोत्तर प्रविधि के गुण
- प्रश्नोत्तर का प्रयोग करने से पहले बालक के पूर्व ज्ञान को जरूर जाँच लेना चाहिए|
- इस विधि में शिक्षक के साथ-साथ विद्यार्थी भी क्रियाशील रहते है|
- इस प्रविधि से कक्षा में शिक्षण रुचिकर होता है जिससे अनुशासन हीनता की संभावना नहीं रहती है|
प्रश्नोत्तर प्रविधि के दोष
- यह प्रविधि कभी-कभी शिक्षण के अधिगम में बाधक भी बनती है|
- यह प्रविधि उच्च शिक्षा के लिए अनुपयोगी है|
- इस प्रविधि से छात्र को समस्त पाठ्य-वस्तु का ज्ञान नहीं हो पाता|
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